"वास्तु शास्त्र एवं विज्ञान" के आज के प्रथम अंक में चर्चा करेंगे आपके किचन को लेकर। मित्रो वास्तु में ये साफ कहा गया है की आपके घर में किचन आग्नेय कोण अर्थात दक्षिण पूर्व में होना चाहिए। चूंकि वास्तु के अनुसार आग्नेय कोण अग्नि तत्व का होता है। किचन में भी अग्नि का वास होता हम खाना अग्नि पर ही पकाते है। अग्नि हमारे कच्चे खाने को खाने लायक एवं पचाने लायक बनाती है। यही अग्नि हमारे खाने को पकाती भी है और पचाती भी है।
वैज्ञानिक द्रष्टि से देखा जाए तो भारत की भौगोलिक संरचना के हिसाब से अमूमन किसी भी घर के दक्षिण पूर्व कोण में सूर्य का प्रकाश पूरे दिन में सबसे अधिक समय तक रहता है, और जहां सूर्य का प्रकाश होता है वहां का वातावरण किटाणु जीवाणु फंगस आदि से मुक्त रहता है। वहां रखी सामग्री ज्यादा समय तक शुद्ध रहती है ।
वास्तु , विज्ञान है । केवल उसे समझने की जरूरत है।
यदि आप वास्तु के बारे में ओर जानना चाहते है तो हमारे इस विषय से सम्बन्धित ब्लाग ( लेखन) इस वेबसाइट पर
डॉ. आशुतोष व्यास
उज्जैन ( म.प्र.)